आखिरकार आज फिर याद आए गए अशफाक उल्लाह। गाहे बगाहे ही सही याद तो आए। ये क्या कम हैं। ज्ञात हो कि 22 अक्टूबर को अशफाक का जन्म दिन था । सन 1900 में यूपी के एक गांव में उनका जन्म हुआ था। जन्म दिन था तो कौन उसमें क्या करें । यहां तक कि छोटी छोटी बात पर चिलपों मचाने वाले न्यूज चैनल भी इस मुद्दे पर चुप थे । एक नहीं सारे चैनल वाले ही सुबह से विधानसभा के परिणाम में जो व्यस्त थे। इसलिए किसी को सुध ही नहीं रहा होगा। क्यो सही कहा हैं ना ।
लेकिन जरा सोचिए क्या हम सब इतने स्वार्थी हो गए हैं कि इस महान क्रांतिकारी को भूल गए। शायद हां भी शायद ना भी । लेकिन जो हुआ सो हुआ । ये अक्षमनीय हैं । बिल्कुल भी नाकाबिले बर्दाश्त हैं । मैं भी पथभ्रष्ट भीड़ का हिस्सा हूं। जानता हूं पर जान के भी कुछ नहीं कर सकता हूं। इसमें अगर मुझे कोई फ्रस्टू बोले तो ठीक हैं । हां मैं ऐसा ही हूं । और अगर मैं ऐसा हू तो आप मेरा क्या कर लीजिएगा ।
अब जरा ध्यान कीजिए इस महान क्रातिंकारी का योगदान । काकोरी कांड तो आपको याद होगा । शायद आप लोग बिल्कुल भी नहीं भूले होगें। अगर भूल गए हैं तो शर्म हैं... आप पर और इस देश के तमाम जनता पर। जो आज मजे से अपनी जिन्दगी बिता रहे हैं। अगर ये कहा जाए कि उन्होंने हमारे कल के लिए अपना आज बर्बाद किया था । वे चाहते तो मजे से जिन्दगी बिता सकते थे । अरे भाई वे पढ़ने में कमजोर थोड़े ही ना थे । जब वो अपने एक कमीने रिश्तेदार के दोगलई से अंग्रेजों के हाथ में आए थे । तब वे भारत में आजादी के मिशन को धन की होने वाली कमी से दूर करने के लिए विदेश जा रहे थे।
शर्म आए जहां पर ऐसे रिश्तेदार मौजूद हो जो किसी को नेक काम करने से रोकें ।
खैर क्या कीजिएगा ई हां का सिस्टम ही ऐसा हैं।
आखिर कार अशफाक उल्लाह को इस कृत्घन राष्ट्र के इस अदने से आदमी का सलाम...
Friday, October 23, 2009
Wednesday, October 14, 2009
मिलावटी दुनिया में हम...
मिलावटी दुनिया में हम...
दिवाली आने को हैं । औऱ अच्छे अच्छे लोगों का दिवाला निकलने को तैयार हैं। एक तरफ महंगाई और दूसरी तरफ मिलावट दोनों ने आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया हैं। लेकिन क्या करे दुनिया में आए हैं तो जीना ही पड़ेगा। आज के इस मिलावटी उदारीकरण के दौर में आम आदमी की हालत बद से बदतर हो गयी हैं। पर क्या करें मजबूरी हैं । कर भी क्या सकते हैं । किसी ने कहा हैं जिन्दगी जीने के दो तरीके हैं । पहला जिम्मेदारी को समझे और इसे उठा के अपने अनूकूल माहौल में जीए। वहीं दूसरा तरीका इसके ठीक उलट हैं। दूसरे तरीके में जो हो रहा हैं उसको होनें दे,जैसा चल रहा हैं उसको चलने दे । यहीं हैं दूसरी जीने के नीति । जिसे हर आदमी अपनाना चाहता हैं और जीना चाहता हैं । खैर ये सही भी हैं । अगर हम इतिहास के पन्ने पर नजर दौड़ाए तो यहीं बात निकल कर सामने आती हैं कि सरवाइल ऑफ द फिटेस्ट । बहरहाल जीने का दूसरा तरीका आसान और सरल हैं। क्योकिं इस पद्धति में आप ज्यादा टेंशन नहीं लेते हैं। और हर हाल में जिन्दगी गुजार लेते हैं। लेकिन जिन्दगी जीने का जो पहला तरीका उसमें टेंशन भी हैं । और फिक्र भी। और तौ और पहली तरीके आपको समयानूकूल बदलाव करनें की गुजाइंश नही होती हैं क्योकिं आप खुद ही बदलना नहीं चाहते हैं।
आज के इस मिलावटी दौर में किसी चीज पर भरोसा करना खतरे खाली नहीं हैं। प्यार में मिलावट,खाने में मिलावट तो पहले से ही चला आ रहा हैं, यहां तक कि अब मां बाप में भी मिलावट देखन को मिल रहा है,पत्नी में मिलावट,खून में मिलावट(लखनऊ खून रैकेट एक सटीक उदाहरण हैं),पइसा में मिलावट, हर जगह मिलावट का ही जमाना हैं भाई। ऐसा इसलिए हैं क्योकिं हम ऐसे ही हैं । और ये ऐसे ही चलता रहेगा । क्योकि ऐसा हम चाहते हैं । वैसे भी समाज में हम आप जैसे ही लोग रहते हैं। मिलावटी जमाने शुद्ध सामान की बात ना करें । ऐसा ही हैं और भविष्य में ऐसा ही रहेगा.....
दिवाली आने को हैं । औऱ अच्छे अच्छे लोगों का दिवाला निकलने को तैयार हैं। एक तरफ महंगाई और दूसरी तरफ मिलावट दोनों ने आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया हैं। लेकिन क्या करे दुनिया में आए हैं तो जीना ही पड़ेगा। आज के इस मिलावटी उदारीकरण के दौर में आम आदमी की हालत बद से बदतर हो गयी हैं। पर क्या करें मजबूरी हैं । कर भी क्या सकते हैं । किसी ने कहा हैं जिन्दगी जीने के दो तरीके हैं । पहला जिम्मेदारी को समझे और इसे उठा के अपने अनूकूल माहौल में जीए। वहीं दूसरा तरीका इसके ठीक उलट हैं। दूसरे तरीके में जो हो रहा हैं उसको होनें दे,जैसा चल रहा हैं उसको चलने दे । यहीं हैं दूसरी जीने के नीति । जिसे हर आदमी अपनाना चाहता हैं और जीना चाहता हैं । खैर ये सही भी हैं । अगर हम इतिहास के पन्ने पर नजर दौड़ाए तो यहीं बात निकल कर सामने आती हैं कि सरवाइल ऑफ द फिटेस्ट । बहरहाल जीने का दूसरा तरीका आसान और सरल हैं। क्योकिं इस पद्धति में आप ज्यादा टेंशन नहीं लेते हैं। और हर हाल में जिन्दगी गुजार लेते हैं। लेकिन जिन्दगी जीने का जो पहला तरीका उसमें टेंशन भी हैं । और फिक्र भी। और तौ और पहली तरीके आपको समयानूकूल बदलाव करनें की गुजाइंश नही होती हैं क्योकिं आप खुद ही बदलना नहीं चाहते हैं।
आज के इस मिलावटी दौर में किसी चीज पर भरोसा करना खतरे खाली नहीं हैं। प्यार में मिलावट,खाने में मिलावट तो पहले से ही चला आ रहा हैं, यहां तक कि अब मां बाप में भी मिलावट देखन को मिल रहा है,पत्नी में मिलावट,खून में मिलावट(लखनऊ खून रैकेट एक सटीक उदाहरण हैं),पइसा में मिलावट, हर जगह मिलावट का ही जमाना हैं भाई। ऐसा इसलिए हैं क्योकिं हम ऐसे ही हैं । और ये ऐसे ही चलता रहेगा । क्योकि ऐसा हम चाहते हैं । वैसे भी समाज में हम आप जैसे ही लोग रहते हैं। मिलावटी जमाने शुद्ध सामान की बात ना करें । ऐसा ही हैं और भविष्य में ऐसा ही रहेगा.....
Tuesday, October 13, 2009
किशोर दा...
किशोर दा...
खइके पान बनारस वाला...चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना...चला जाता हूं किसी के धुन में ... अगर किसी से पूछा जाए कि इन गीतों में क्या समानता हैं...तो आपका क्या जवाब होगा...जी हां बिल्कुल ठीक पहचाना कि इन सब गीतों को एक ही गायक ने गाया हैं...जी जनाब इनका नाम किशोर कुमार हैं...लगभग सब सुपरस्टार की आवाज बनने वाले किशोर दा का आज पुण्यतिथि हैं...बॉलीवुड के सरताज गायक किसी परिचय से महरूम नहीं हैं ...पर दुनिया की बानगी देखिए बहुत कमतरे लोग को ये याद होगा...खैर ये दुनिया ही ऐसा हैं...किशोर दा के बारे मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि अगर उन्होनें अमिताभ के लिए गाया तो अमिताभ की आवाजा में रम गए...वहीं देव साहब के लिए गाया तो उनकी आवाज में रम गए...राजेश खन्ना के गाना गाया तो लगा कि काका खुद ही गाना गा रहें हैं...शायद ही कोई ऐसा गायक होगा जो बहुमुखी प्रतिभा का धनी हो...चाहे निर्देशन हो या फिर निर्माता...हर जगह किशोर दा नें हाथ आजमाया...और सफल हुए...यही नहीं दादा ने बेजोड़ अभिनय भी किया...आखिर कौन भूल सकता हैं पड़ोसन के मास्टर जी को अपने शिष्य को प्यार करना सिखलाता हैं...बहरहाल एक इंसान में अभिनय की क्षमता,गायकी में बेजोड़, निर्देशन भी अव्वल दर्जे का...इतनी सारी प्रतिभा के धनी किशोर दा वाकई में बिरले थे...उनके जैसा ना कोई था और ना ही कोई आएगा...
किशोर दा के पुण्यतिथि पर उनको भावभीनी श्रद्धाजंलि...
खइके पान बनारस वाला...चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना...चला जाता हूं किसी के धुन में ... अगर किसी से पूछा जाए कि इन गीतों में क्या समानता हैं...तो आपका क्या जवाब होगा...जी हां बिल्कुल ठीक पहचाना कि इन सब गीतों को एक ही गायक ने गाया हैं...जी जनाब इनका नाम किशोर कुमार हैं...लगभग सब सुपरस्टार की आवाज बनने वाले किशोर दा का आज पुण्यतिथि हैं...बॉलीवुड के सरताज गायक किसी परिचय से महरूम नहीं हैं ...पर दुनिया की बानगी देखिए बहुत कमतरे लोग को ये याद होगा...खैर ये दुनिया ही ऐसा हैं...किशोर दा के बारे मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि अगर उन्होनें अमिताभ के लिए गाया तो अमिताभ की आवाजा में रम गए...वहीं देव साहब के लिए गाया तो उनकी आवाज में रम गए...राजेश खन्ना के गाना गाया तो लगा कि काका खुद ही गाना गा रहें हैं...शायद ही कोई ऐसा गायक होगा जो बहुमुखी प्रतिभा का धनी हो...चाहे निर्देशन हो या फिर निर्माता...हर जगह किशोर दा नें हाथ आजमाया...और सफल हुए...यही नहीं दादा ने बेजोड़ अभिनय भी किया...आखिर कौन भूल सकता हैं पड़ोसन के मास्टर जी को अपने शिष्य को प्यार करना सिखलाता हैं...बहरहाल एक इंसान में अभिनय की क्षमता,गायकी में बेजोड़, निर्देशन भी अव्वल दर्जे का...इतनी सारी प्रतिभा के धनी किशोर दा वाकई में बिरले थे...उनके जैसा ना कोई था और ना ही कोई आएगा...
किशोर दा के पुण्यतिथि पर उनको भावभीनी श्रद्धाजंलि...
Monday, October 12, 2009
अमिताभ साहब और हम लोग...
अमिताभ साहब और हम लोग...
सदी के महानायक का आज 67 साल के हो गए । देश भर में हर जगह बिग बी के प्रशंसकों ने उनका जन्मदिन मनाया। दिन भर न्यूजरूम में एफटीपी पर एक से एक खबर देखने को मिला। वाकई ये अमिताभ साहब ही हैं ,जिन्हें लोगों नें भगवान बना दिया हैं । जहां तक मुझे लगता हैं । ना उन से पहले कोई ऐसा अभिनेता था ना होगा । जिसे लोग इताना प्यार और दुलार करेगें । शायद ही कोई ऐसा अभिनेता होगा जिसे लोग भगवान की तरह पूजेगें । शायद ही कोई ऐसा होगा जो पूरा बॉलीवुड का इतिहास ही बदल देगा। इतिहास गवाह हैं कि कैसे बच्चन साहब ने पूरे बॉलीवुड का दिशा ही बदल दिया हैं।
बहरहाल उनके करिश्मा को कोई मिलने पर ही जान सकता हैं । रूपहले पर्दा पर एंग्री यंग मैन लगने वाले बिग बी बहुत ही सौम्य और शांत हैं। ऐसा मुझे लगा हैं। देश भर के खुशनसीबों में से मैं भी एक शख्स हू जो अमिताभ साहब से रूबरू हुआ हैं। लखनऊ में तकरीबन पांच बरस पहले अमित सर एक कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे। जहां मुझे उनसे बात करने और मिलने का सौभाग्य मुझे भी प्राप्त हुआ । वो 30 सेकेंड की कुशलक्षेम वाली बातचीत आज भी मुझे याद हैं।
उस पूरे कार्यक्रम जहां जया हँसती नजर आ रहीं थी । वहीं हमेशा की तरह अमिताभ बहुत शांत और गंभीर थे । मैं और मेरे कुछ पत्रकार साथी प्रेस दीर्घा में थे । कुछ देर बाद हम लोग भी उनके पास आ गए। फिर शुरू हुआ वो दौर जिसका इंतजार मेरे साथ मेरे हर साथी को था। उस समय हमारे भगवान या यूं कहे की सब कुछ वो ही थे । हम लोगों ने हर तरफ से उनको घेर लिया था । जिससे अमित जी तनीक भी असहज नहीं हुए। और मजेदार बात यह रहीं कि उनके सुरक्षा में मुस्तैद रहने वाले ब्लैक कैट ने भी हम लोगों को खुले सांड की तरह छोड़ दिया था । थोड़ी देर में जया जी भी वहां आ गयी । वहीं अमर जी पहले से वहां मौजूद थे । उनके साथ और भी लोग थे । बातचीत बहुत मजेदार ढ़ंग से हो रही थी । अमित जी पर हम लोग लगातार सवालों का बंब फेंक रहे थे । और वे हर सवालों के बंब को ऐसे कैच कर रहे थे । जैसे मानों फूल हो। जिंदगी के बमुश्किल दस मिनट के ये क्षण की याद आज लगभग पांच साल बीतने के बाद भी मेरे जेहन में हैं। बातचीत की सिलसिला चल ही रहा था कि अमर सिंह बोले के अब हम लोगों को आराम करने के लिए चलना चाहिए क्योकिं सुबह निकलना भी हैं। मैनें अपनी घड़ी पर नजर डाली तो सुबह के 2 बजे चुके थे । रात की बेला सुबह के बेले में जाने को आतुर थी ।
इसके बाद बिग बी हमलोगों से दोबारा मिलने का वादा करके चल दिए । अपने मित्र के शहर में । वहीं बिग बी हमलोगों को मुंबई का न्यौता देना भी नहीं भूलें। जिसे हम लोगों ने ऐसे स्वीकार किया जैसे अभी हीं दौड़ कर हम लोग मुंबई पहुंच जाएगें। बहरहाल क्षण भर की वो मुलाकात आज भी तरोताजा हैं।
सदी के महानायक को उनके 67 वें जन्मदिन पर हार्दिक बधाई। भगवान करे वे नित नये आयाम को छुए...
सदी के महानायक का आज 67 साल के हो गए । देश भर में हर जगह बिग बी के प्रशंसकों ने उनका जन्मदिन मनाया। दिन भर न्यूजरूम में एफटीपी पर एक से एक खबर देखने को मिला। वाकई ये अमिताभ साहब ही हैं ,जिन्हें लोगों नें भगवान बना दिया हैं । जहां तक मुझे लगता हैं । ना उन से पहले कोई ऐसा अभिनेता था ना होगा । जिसे लोग इताना प्यार और दुलार करेगें । शायद ही कोई ऐसा अभिनेता होगा जिसे लोग भगवान की तरह पूजेगें । शायद ही कोई ऐसा होगा जो पूरा बॉलीवुड का इतिहास ही बदल देगा। इतिहास गवाह हैं कि कैसे बच्चन साहब ने पूरे बॉलीवुड का दिशा ही बदल दिया हैं।
बहरहाल उनके करिश्मा को कोई मिलने पर ही जान सकता हैं । रूपहले पर्दा पर एंग्री यंग मैन लगने वाले बिग बी बहुत ही सौम्य और शांत हैं। ऐसा मुझे लगा हैं। देश भर के खुशनसीबों में से मैं भी एक शख्स हू जो अमिताभ साहब से रूबरू हुआ हैं। लखनऊ में तकरीबन पांच बरस पहले अमित सर एक कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे। जहां मुझे उनसे बात करने और मिलने का सौभाग्य मुझे भी प्राप्त हुआ । वो 30 सेकेंड की कुशलक्षेम वाली बातचीत आज भी मुझे याद हैं।
उस पूरे कार्यक्रम जहां जया हँसती नजर आ रहीं थी । वहीं हमेशा की तरह अमिताभ बहुत शांत और गंभीर थे । मैं और मेरे कुछ पत्रकार साथी प्रेस दीर्घा में थे । कुछ देर बाद हम लोग भी उनके पास आ गए। फिर शुरू हुआ वो दौर जिसका इंतजार मेरे साथ मेरे हर साथी को था। उस समय हमारे भगवान या यूं कहे की सब कुछ वो ही थे । हम लोगों ने हर तरफ से उनको घेर लिया था । जिससे अमित जी तनीक भी असहज नहीं हुए। और मजेदार बात यह रहीं कि उनके सुरक्षा में मुस्तैद रहने वाले ब्लैक कैट ने भी हम लोगों को खुले सांड की तरह छोड़ दिया था । थोड़ी देर में जया जी भी वहां आ गयी । वहीं अमर जी पहले से वहां मौजूद थे । उनके साथ और भी लोग थे । बातचीत बहुत मजेदार ढ़ंग से हो रही थी । अमित जी पर हम लोग लगातार सवालों का बंब फेंक रहे थे । और वे हर सवालों के बंब को ऐसे कैच कर रहे थे । जैसे मानों फूल हो। जिंदगी के बमुश्किल दस मिनट के ये क्षण की याद आज लगभग पांच साल बीतने के बाद भी मेरे जेहन में हैं। बातचीत की सिलसिला चल ही रहा था कि अमर सिंह बोले के अब हम लोगों को आराम करने के लिए चलना चाहिए क्योकिं सुबह निकलना भी हैं। मैनें अपनी घड़ी पर नजर डाली तो सुबह के 2 बजे चुके थे । रात की बेला सुबह के बेले में जाने को आतुर थी ।
इसके बाद बिग बी हमलोगों से दोबारा मिलने का वादा करके चल दिए । अपने मित्र के शहर में । वहीं बिग बी हमलोगों को मुंबई का न्यौता देना भी नहीं भूलें। जिसे हम लोगों ने ऐसे स्वीकार किया जैसे अभी हीं दौड़ कर हम लोग मुंबई पहुंच जाएगें। बहरहाल क्षण भर की वो मुलाकात आज भी तरोताजा हैं।
सदी के महानायक को उनके 67 वें जन्मदिन पर हार्दिक बधाई। भगवान करे वे नित नये आयाम को छुए...
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