Saturday, July 11, 2009

टी.वी चैनलों का उमडता गे प्रेम...

२ जुलाई का दिन दिल्ली हाई कोर्ट का वह आदेश पूरा मीडिया जगत के शब्दों में कहें तो खेलनें वाला मु्द्दा दे गया । जी हॉ हम बात कर रहें हैं हाई कोर्ट के उस आदेश का जिसमें देश में अपनें मर्जी से समलैगिंक संबंध को मंजूरी दे दी गयी थी । ठीक हॉ भाई समलैंगिको मंजूरी मिली। उनको राहत मिला । पर उनका क्या जिनका चैन हराम हो गया । आखिर जो गे नहीं उनकी तो शामत आ गई । इधर चैनल वालों को ऐसा मसाला मिल गया जिसकों कोई भी चैनल नें छोड़ना उमदा नहीं समझा । उधर इस चक्कर और दूसरें मुद्दे जरूर छूट गए । खैर एक बात तो हैं हाई कोर्ट के इस आदेश नें देश में एक बार फिर इस बात पर बहस छेड़ दी हैं कि क्या हम आधुनिकता के चक्कर में अपनी सभ्यता को भूलते जा रहें हैं । बरहाल अगर हम इतिहास के पन्नें को कुरेदतें हैं तो पाएगें कि महाभारत काल से हीं समलैंगिक संबध रहें हैं । मुआफ कीजिएगा पर मेरे सामान्य ज्ञान के मुताबिक शिखंडी भी गे थे । यहॉ तक कि वनवास के दौरान अर्जुन को भी महिला का रूप धारण करना पड़ा था । उस जमाने के मुताबिक वे भलें ही समलैंगिक ना हो पर आज के जमाने के मुताबिक उन्हें भी गे के श्रेणी में लाके खड़ा कर दिया हैं । वैसे हमें किसी महान व्यक्ति के नाम को छोड़कर मुद्दे पर वापस लौंटना चाहिए । अन्यथा वैसे भी अभीं मुद्दों की सक्त कमी हैं । हैं तो हम बात कर रहें थे टीवी पर समलैंगिकों पर दिखाए जा रहें कार्यक्रम के बारें में । ऐसा लगता हैं कि इन टीवी चैनलों नें लोगों को गे बनानें का ठेका ले लिया हैं । जब टीवी को ट्यून कीजिए किसी ना किसी चैनल पर गे बिकतें नजर आ जाएगें । वैसे में भी टीवी का पत्रकार हूं । पर क्या करू । और बड़ी बात कि मैं कर भी क्या सकता हूं सिवाय जो हो रहा हैं उसमें शरीक होके गर्दन हिलानें के अलावा । खैर जहॉ कोर्ट के इस फैसलें के पक्ष काफी सारे गे लोगों में खुशी की लहर दौड़ गयी हैं वहीं इसकें खिलाफ काफी लोग लामबंध हो गए हैं । वहीं सुप्रीम कोर्ट नें भी सरकार को नोटिस जारी किया हैं । जिससें लोगों की आशा बढ़ी हैं । ये तो आनें वाले समय में हीं पता चलेंगा कि क्या होता हैं । बाकी न्यूज चैनल वालों को बैठे बिठाए खेलनें के लिए अच्छा मुद्दा दे दिया हैं ।

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