हीरों--मुझे इश्क हुआ हैं
उसका दोस्त -- किससे
हीरों-- लड़की से और क्या
आज टीवी पर एक फिल्म आ रही थी जिसका रसास्वादन मैं अकेले कर रहा था । वहीं दूसरी तरफ न्यूज चैनल सब इस समय गे मुद्दे पर खेल रहें थे । ऊपर लिखी गई शुरूआती डॉयलाग के बाद जब मैनें खबरिया चैनलों के तापमान को जानना चाहा तो ये दृश्य देखा । कुछ देर सोचता रहा । लेकिन फिर सब कुछ शीशे की तरह साफ हो गया ।
कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय के बाद जहॉ एक तरफ मॉ बाप की चिंता बढ़ गई हैं । वहीं दूसरी तरफ शब्दों के ठीक से इस्तमाल करने की भी चिंता बढ़ गई हैं । जी हॉ ऊपर निकाले गये फिल्मी डॉयलाग कुछ ही बातों की तरफ इशारा करता हैं । जाने अन्जाने में सही ऊपर फिल्माए गए डॉयलाग में समलैंगिकता की झलक मिलती हैं । बरहाल आज से कुछ समय पहले भले इन दो अर्थों वाली संवाद पर मुहं झेप लिया जाता हो पर अब ये धारणा बिल्कुल उलट गयी हैं । जिसका नतीजा आप दोस्ताना के रूप में देख चुके हैं । वैसे दोस्ताना की शुरूआत बहुत पहिले हो गयी हैं । लेकिन जिस तरह से आज लोग बोल्ड हो गए है । वो भविष्य में होने वाले हमारे समाज के बदलाव का सूचक हैं । ये बदलाव समाज को फायदा पहुंचाएगा ये तो आने वाले समय में हीं पता चलेगा । वहीं इसका नुकसान भी समय के साथ ही पता चलेगा । लेकिन इतना तो है कि बैठे बिठाए कम से कम खबरिया चैनलों वालों को मुद्दा मिल गया हैं । खैर अपनों को क्या हैं हम तो जैसे थे वैसे ही रहेगें । वैसे बदलाव ही प्रकृति का नियम हैं । और हमें इस बदलाव को स्वीकार करना होगा ।
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