आज से कुछ साल पहलें तक लोग शाम के बाद निकलना पंसद नहीं करतें थे । वहीं लोग आज कल देर रात रोड पर घूमते देखे जा सकतें हैं । जो लोग रात में जगना पंसद नही करते थे । वे आज की तारीख में रात की शिफ्ट करते नजर आ रहें हैं । जिस शहर में शाम होनें की आहट मात्र से बहू बेटियों का घर से बाहर निकलना वर्जित था । उसी शहर में वहीं बहू बेटी रात में नौकरी करती दिखाई दे रही हैं । कुल मिलाकर अगर हम ये कहें कि ये २४*७ की माया हैं तो अतिशोयक्ति नहीं होगी ।
ये २४*७ के कल्चर की शुरूआत देश में कॉल सेंटर के उदघोष के बाद हुई । ज्ञात हो कि अमूमन कॉल २४ गुणे ७ के फंडे पर काम करते हैं । कॉल सेंटर के बाद बारी थी मॉल कल्चर की । जिसके आने के बाद देश का कल्चर एकदम ही बदलता हुआ नजर आया । अभी अगर हम एक सरसरी नजर मैट्रो शहर के लाइफ स्टाइल पर गौर फरमाए तो देखेंगे कि २४*७ का कल्चर कितना हावी हो चुका हैं ।
इसी तरह कमोबेश मीडिया का हाल हैं । टाइम पास करने का ये कल्चर मीडिया में बुरी तरह हावी हैं । जिसका नतीजा यह है कि तमाम लोग जो इस कल्चर में फंसे हैं वो किसी ना किसी रूप से परेशान हैं और जिंदगी से त्रस्त भी ।
औरों की तरह मैं भी इस कल्चर में जी रहा हूं । और लाइट लाइट का मजा ले रहा हूं । जिसका नतीजा ये हैं कि सुबह चार बजे के समय ब्लाग ब्लाग खेल रहा हूं । खैर चलिए जाने दीजिए जिंदगी में जो लिखा है वहीं होगा । सुबह के चार से अधिक हो गया है । अउर ब्रहममूहुर्त शुरू हो गया है ।
आप सभ को इस अदने से पत्रकार का सुप्रभात । प्रणाम ...
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